Mandu Fort Hindustan Ka Dil Dekho
Mandu मध्यप्रदेश का एक ऐसा राज्य जो, अपनी वास्तुकला और प्रेम कहानियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है।11वीं शताब्दी में मांडू तरंगा साम्राज्य का उप-प्रभाग था। यह इंदौर से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर यह बसा हुआ है। यहाँ का अंतिम स्वतन्त्र शासक बाज बहादुर द्वारा मांडू किला का निर्माण 1401 से 1561 के बीच किया गया था।
Mandu Fort In Madhya Pradesh
रानी रूपमती और बाज बहादुर की प्रेम कहानी - विंध्याचल पर्वत पर बसे मांडू का किला आज भी बाज़ बहादुर और रानी रूपमती के प्रेम का गवाह है।
इस किले को बाज बहादुर ने अपनी रानी रूपमती की याद में बनवाया था। यहां लाखों सैलानी किले को देखने आते हैं, इसकी वास्तुकला बहुत ही उत्कृष्ट है, यहाँ के दर्शनीय स्थलों में हिंडोला महल, शाही इमाम, जहाज महल, रानी रूपमती का पवेलियन,नक्काशीदार गुम्बद आदि वास्तुकला लोगों को अपने तरफ आकर्षित करती हैं।
Rupmati Mandap, Madhya Pradesh |
युद्ध, प्रेम और संगीत से सजा हुआ, यह प्रेम कहानी बाज़ बहादुर और रूपमती की है। रूपमती मालवा की एक खूबसूरत गायिका थी, और सुल्तान बाज़ बहादुर ,जो मांडू के अंतिम स्वतंत्र शासक थे, दोनों एकदूसरे से बहुत प्रेम करते थे। बाज़ बहादुर से उनका अंतर्धार्मिक विवाह था।
अकबर को रानी रुपमती सुंदरता और गायकी के बारे में पता चला, तो उसने आपने सेनापति आदम खान को रुपमती को लाने के लिए भेजा। आदम खान ने मांडू के किले पर चढ़ाई कर दी और बाज़ बहादुर को बंदी बना लिया।
जब आदम खान की सेना रुपमती को लेने महल पहुँची, तो रुपमती ने जहर खाकर खुद को समाप्त कर लिया। जब यह बात अकबर तक पहुंची तो, दुखी होकर ,उसने बाज़ बहादुर को छोड़ दिया।
जब बाज़ बहादुर को रानी रूपमती के बारे में पता चला तो, उसने रुपमती के मज़ार पर जाकर अपना सर पटक -पटक कर वही अपनी जान दे दी। इसके बारे में जब अकबर को पता चला तो उसने पश्चाताप करने के लिए सन 1568 में बाज बहादुर और रुपमती के याद में सारंगपुर के समीप एक मकबरे का निर्माण कराया। बाज बहादुर के मकबरे पर अकबर ने ‘आशिक-ए-सादिक’ और रूपमती की समाधि पर ‘शहीद-ए-वफा’ लिखवाया।
Mandu मांडू का किला 3500 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। रानी रुपमती नर्मदा नदी के दर्शन किए बिना भोजन ग्रहण नहीं करती थी इसलिए इस किले से नर्मदा नदी के भी दर्शन होते हैं। लोग कहते है कि, नर्मदा नदी के तट पर आज भी दोनों मिलते है।
सड़क मार्ग / रेल मार्ग / एयरपोर्ट मार्ग-मांडू इंदौर से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर यह बसा हुआ है। जो नियमित रूप से एरोप्लेन, बसों और ट्रेन से जुड़ा हुआ है।
मांडू कब जाएं - मांडू जाने के लिए बारिश का टाइम जुलाई से अगस्त के बीच का बहुत अच्छा होता है, इस समय किले के खंडहरों का सौंदर्य निखर जाता है।
Nice
ReplyDelete👍
DeleteInteresting!!
ReplyDeleteNice and informative
ReplyDeleteNice and informative
ReplyDeleteThanks
DeleteNice
ReplyDeleteThanks
DeleteWow great work
ReplyDelete